स्विंग ट्रेडिंग क्या है? इसके फायदे और नुकसान

स्विंग ट्रेडिंग क्या है?

स्विंग ट्रेडिंग में एक से अधिक ट्रेडिंग सत्र में मध्यम या छोटी अवधि के लिए पोजीशन को होल्ड करना होता है, लेकिन आमतौर पर स्विंग ट्रेडिंग में ये होल्डिंग पीरियड कई हफ्तों या कुछ महीनों से अधिक नहीं होना चाहिए।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए अच्छे स्टॉक का चयन कैसे करें?

एक स्विंग ट्रेडर के तौर पर आपको ये बिल्कुल साफ़ होना चाहिए कि आपको कितने प्रतिशत प्रॉफिट के बाद निकल जाना है, 4 से 15% का प्रॉफिट स्विंग ट्रेडिंग के लिए पर्याप्त है लेकिन ट्रेड लेने से पहले आपको ध्यान रखना है कि आपको केवल ऐसे स्टॉक का चयन करना है जिसका फंडामेंटल स्ट्रांग हो।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक सिलेक्ट करते समय इन बातों को जरूर ध्यान दें-

– स्विंग ट्रेड के लिए आप Friday को मार्केट बंद होने के बाद Friday, Saturday या Sunday किसी भी दिन स्टॉक का चयन कर सकते हैं। – स्विंग ट्रेड सिलेक्ट करते समय ध्यान रखें की केवल 100 रुपए से ऊपर वाले स्टॉक को ही सेलेक्ट करें क्योंकि हमें पैनी स्टॉक्स से बचना है। ऐसा इसलिए क्योंकि पैनी स्टॉक्स को Operators द्वारा आसानी से Manipulate किया जा सकता है। – स्टॉक में अच्छा वॉल्यूम होना चाहिए यानी ऐसा शेयर जिसमें बेचे और खरीदे जाने वाले शेयर की संख्या यानी वॉल्यूम ज्यादा है।

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

– स्विंग ट्रेडिंग में आपको कम समय में प्रॉफिट मिल जाता है। – कम प्रॉफिट का टारगेट होने के कारण टारगेट हिट करने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। – स्टॉक में एंट्री लेने के लिए उसके गिरने का इंतज़ार नहीं करना पड़ता।

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान

– शार्ट टर्म में एग्जिट लेने के कारण आपको बड़ा प्रॉफिट नहीं मिल पता है। – स्टॉक से जुडी रोजाना आने वाली हर छोटी बड़ी खबर से शेयर के प्राइस में उतार-चढ़ाव आता है। – एक दिन से ज्यादा होल्ड करने के कारण शेयर में गैप अप और गैप डाउन का भी सामना करना पड़ता है।

स्विंग ट्रेडिंग में इन्वेस्ट करने से पहले इसके बारे में विस्तार से पढ़ें-