Assets and Liabilities in Hindi – Assets और Liabilities क्या है?, एसेट्स कितने प्रकार के होते हैं?, लायबिलिटी के प्रकार, Assets and Liabilities Difference in Hindi, Assets and Liabilities List in Hindi
आज इस पोस्ट में हम Asset और Liabilities (Assets and Liabilities in Hindi) के बारे में बात करने जा रहे हैं। जिसमें हम जानेगें Asset और Liabilities क्या होता है?, इन दोनों में क्या अंतर है?, साथ ही हम कुछ Asset और Liabilities की लिस्ट भी इस पोस्ट में शेयर करेंगे।
Assets और Liabilities क्या है? (Asset and Liabilities Meaning in Hindi)
किसी बैलेंस शीट को 2 भागों में बांटा जा सकता है और वो हैं Assets और Liabilities.
ऐसे Items हैं जो आपके या किसी कंपनी के पास हैं और आगे चलकर ये Assets आपको प्रॉफिट देने वाले हैं यानी भविष्य में इनकी वैल्यू बढ़नी है, इन्हें Assets कहा जाता है।
इसके अलावा आप या कोई कंपनी कुछ ऐसे Items की भी मालिक हैं जिनकी वैल्यू या कीमत भविष्य में कम होने वाली है और वर्तमान में भी आपको इन पर खर्चा करना पड़ता है। ऐसे Items को Liabilities कहा जाता है। इसके अलावा सभी तरह के लोन को भी Liabilities के अंतर्गत आते हैं।
एसेट्स कितने प्रकार के होते हैं? (Type of Assets in Hindi)
Assets को आमतौर पर 3 भागों में बाँटा जा सकता है-
1 – Convertibility यानी परिवर्तनीयता के आधार पर
Convertibility यानी परिवर्तनीय एसेट्स को फिर से 2 भागों में बाँटा जा सकता है-
- Current एसेट्स
- Non-Current एसेट्स
Current एसेट्स – ये ऐसे Assets होते हैं जिन्हें Short Term यानी 1 साल से कम समय में Cash में परिवर्तित किया जा सकता है। जैसे – कैश, कैश इक्विपमेंट, शार्ट टर्म डिपाजिट, इनवेंटरी आदि।
Non-Current एसेट्स – ये ऐसे Assets होते हैं जिन्हें Long Term में Cash में परिवर्तित किया जा सकता है। जैसे – जमीन, भवन, प्लांट की मशीनें, लम्बे समय के लिए किया गया निवेश आदि।
2 – Physical Existence यानी भौतिक अस्तित्व के आधार पर
Physical Existence के आधार पर भी फिर से एसेट्स को 2 भागों में बाँटा जा सकता है।
- Tangible Assets
- Intangible Assets
Tangible Assets – ऐसे Assets जिनको आप छू सकते हैं या महसूस कर सकते हैं। जैसे – जमीन, भवन, मशीन आदि।
Intangible Assets – ऐसे Assets जिनको आप छू या महसूस नहीं कर सकते। जैसे – पेटेंट, कॉपीराइट, सॉफ्टवेयर, आदि।
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3 – उपयोग के आधार पर
उपयोग के आधार पर भी फिर से एसेट्स को 2 भागों में बाँटा जा सकता है।
- ऑपरेटिंग एसेट्स
- नॉन-ऑपरेटिंग एसेट्स
ऑपरेटिंग एसेट्स – किसी कम्पनी के ऐसे Assets जो रेगुलर तौर पर प्रॉफिट देते या काम आते हैं। जैसे – कैश, इनवेंटरी, भवन।
नॉन-ऑपरेटिंग एसेट्स – कम्पनी के ऐसे Assets जो रेगुलर तौर पर तो काम नहीं आते लेकिन आने वाले समय में कंपनी को प्रॉफिट देते हैं। जैसे – छोटी अवधि के लिए किया गया निवेश, खाली जमीन, या फिक्स्ड डिपोसिट पर मिलने वाला ब्याज।
लायबिलिटी के प्रकार (Type of Liabilities in Hindi)
Liabilities को आमतौर पर 3 भागों में बाँटा जा सकता है-
1 – Current liabilities
ऐसी Liabilities या देनदारियां जिन्हें 1 साल के अंदर चुकाना है, Current Liabilities कहलाती हैं। जैसे – ब्याज का भुगतान, बिल का भुगतान, बैंक अकाउंट ओवरड्राफ्ट, शार्ट टर्म लोन का भुगतान आदि।
2 – Non-current Liabilities
ऐसी Liabilities या देनदारियां जिन्हें 1 साल के बाद चुकाना हो, Non-current Liabilities कहलाती हैं। जैसे – बांड का भुगतान, लॉन्ग टर्म लोन का भुगतान, आदि।
3 – आकस्मिक लायबिलिटी
आकस्मिक देनदारियां ऐसी देनदारियां (Liabilities) हैं जो भविष्य में होने वाली अनिश्चित घटना के परिणाम के आधार पर हो आ सकती हैं। इसलिए, आकस्मिक लायबिलिटी एक तरह से संभावित लायबिलिटी है। जैसे – पेटेंट उल्लंघन, मुकदमा आदि।
Assets and Liabilities Difference in Hindi | Assets और Liabilities में अंतर?
हो सकता है जब आप कोई घर या गाड़ी खरीदतें हैं तब आपको लगता हो की आपने अपने Assets की लिस्ट में एक और Item जोड़ लिया लेकिन सच तो ये है की आपका घर और गाड़ी कोई Asset नहीं है बल्कि Liability है। कैसे? चलिए जानते हैं।
देखिए कोई भी ऐसा Item जो भविष्य में अपने आज की कीमत से ज्यादा वैल्यू दे तो उसे Asstes कहा जाता है, वहीँ दूसरी ओर ऐसे Items जो भविष्य में अपने आज की कीमत से कम वैल्यू दे उसे Liability कहते हैं। साथ ही Liabilities में आने वाले Items के लिए आपको बार-बार पैसा भी देना पड़ता है।
इसीलिए मैंने आपसे कहा की आपकी गाड़ी और आपका घर Liabilities है न की Asstes, क्योंकि अगर आप अपनी गाड़ी भविष्य में बेचेंगे तो इसकी कीमत आपको इसकी वर्तमान कीमत से कम ही मिलेगी साथ ही कार के रख-रखाव और ईंधन में भी आपको हमेशा पैसा लगाना पड़ेगा।
ऐसे ही ज्यादातर लोग घर रहने के लिए लेते हैं ना की रेंट में देने के लिए, और अपने घर में आपको समय-समय पर इसकी मरम्मत करानी होती है, टैक्स देना होता है, बीमा कराना होता है आदि जिसमें आपको पैसा देना होता है। और जैसा की हमने बताया कि जिन चीजों में हमारा पैसा जाता है उसे Liabilities कहते हैं इसलिए आपका घर भी एक Liability है Asset नहीं।
लेकिन हाँ अगर आपने अपना घर रेंट पर दिया हुआ है तब ये आपके लिए Asset का काम करेगा क्योंकि तब आपको आपका घर हर महीने कुछ पैसे बनाकर देगा।
हम आपसे ये नहीं कह रहे की आपको घर नहीं लेना चाहिए, हम बस आपको ये बताने की कोशिस कर रहे हैं की घर एक Liability है Asset नहीं, ताकि अगर आप कही इन्वेस्टमेंट करने जा रहे हैं या फाइनेंसियल प्लानिंग कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें।
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Assets and Liabilities List in Hindi
Assets | Liabilities |
कैश | ब्याज का भुगतान |
कैश इक्विपमेंट | बिल का भुगतान |
शार्ट टर्म डिपाजिट | शार्ट टर्म लोन का भुगतान |
इनवेंटरी | बैंक अकाउंट ओवरड्राफ्ट |
जमीन | बांड का भुगतान |
भवन | लॉन्ग टर्म लोन का भुगतान |
प्लांट की मशीनें | पेटेंट उल्लंघन |
लम्बे समय के लिए किया गया निवेश | मुकदमा |
पेटेंट | पर्सनल कार |
कॉपीराइट | घर |
सॉफ्टवेयर | |
खाली जमीन | |
FD पर मिलने वाला ब्याज |
उम्मीद करते हैं आपको ये आर्टिकल (Assets and Liabilities in Hindi) पसंद आया होगा, हमने आपको Assets और Liabilities से जुडी सभी जानकारी देने की कोशिस की है, अगर इसके अलावा भी आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं। पोस्ट पसंद आयी तो शेयर करना बिल्कुल ना भूलें, धन्यवाद।
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