नेट वर्थ (Net worth) क्या होता है और इसे कैसे निकालें?

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Net Worth क्या है?

किसी व्यक्ति या कारपोरेशन के पास मौजूद एसेट्स की वैल्यू में से उस व्यक्ति या कारपोरेशन की देनदारियों या लोन को घटा देने के बाद जो वैल्यू बचती है उसे नेट वर्थ (Net worth) कहा जाता है। नेट वर्थ (Net worth) किसी कंपनी की आर्थिक स्थति का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जो उसकी वर्तमान वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी देती है।

Net Worth से जुड़े कुछ Important Points-

  • नेट वर्थ किसी कंपनी या व्यक्ति की वर्तमान वित्तीय स्थिति का एक स्नैपशॉट देती है।
  • बिज़नेसर में, नेट वर्थ (Net worth) को बुक वैल्यू या शेयरधारकों की इक्विटी भी कहा जाता है।
  • हाई नेट वर्थ (Net worth) वाले लोगों को हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (HNWI) कहा जाता है।
  • एलन मस्क के पास वर्तमान में किसी भी व्यक्ति के पास मौजूद सबसे ज्यादा नेट वर्थ (Net worth) है।

नेट वर्थ की गणना कैसे करें? | फॉर्मूला

नेट वर्थ की गणना एसेट्स (Assets) से सभी देनदारियों (Liabilities) को घटाकर की जाती है। एसेट्स आपके स्वामित्व वाली वो वस्तुएं हैं जिसकी कुछ वैल्यू है, जबकि देनदारियां वो हैं जो आपके चुकानी हैं, जैसे सभी तरह के लोन, गिरवी आदि।

Assets और Liabilities के बारे में विस्तार से जानने के लिएयह पोस्ट पढ़ें

नेट वर्थ को पॉजिटिव या नेगेटिव दिखाया जा सकता है, अगर नेट वर्थ पॉजिटिव है तो इसका मतलब है आपके एसेट्स आपकी देनदारियों (Liabilities) से अधिक हैं और अगर आपकी देनदारियां, संपत्ति से अधिक हैं तो नेट वर्थ को नेगेटिव दिखाया जाता है। पॉजिटिव और बढ़ती नेट वर्थ (Net worth) अच्छे वित्तीय स्वास्थ्य का संकेत देती है। दूसरी ओर, घटती हुई नेट वर्थ (Net worth) चिंता का विषय है क्योंकि यह देनदारियों के सापेक्ष संपत्ति में कमी का संकेत है।

नेट वर्थ (Net worth) में सुधार करने का सबसे अच्छा तरीका है कि देनदारियों (Liabilities) को कम किया जाए जबकि संपत्ति (Assets) स्थिर रहे या बढ़े, या संपत्ति में वृद्धि हो जबकि देनदारियां या तो स्थिर रहें या कम हो।

नेट वर्थ (Net worth) व्यक्तियों, कंपनियों, सेक्टर्स और यहां तक कि देशों पर भी लागू होती है।

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बिज़नेस में नेट वर्थ

बिज़नेसर में, नेट वर्थ (Net worth) को बुक वैल्यू या शेयरधारकों की इक्विटी भी कहा जाता है। कंपनी की बैलेंस शीट को नेट वर्थ स्टेटमेंट भी कहा जाता है। कंपनी की इक्विटी वैल्यू कुल संपत्ति और कुल देनदारियों की वैल्यू के बीच के अंतर के बराबर होती है। ध्यान रखें कि कंपनी की बैलेंस शीट की वैल्यू, ऐतिहासिक लागत या बुक वैल्यू को दिखती है, न कि करंट मार्केट वैल्यू को।

ऋणदाता यह निर्धारित करने के लिए किसी बिज़नेस की नेट वर्थ (Net worth) की गणना करते हैं कि वो कंपनी आर्थिक रूप से स्वस्थ है या नहीं। अगर कुल देनदारियां, कुल संपत्ति से अधिक हैं, तो एक ऋणदाता को लोन चुकाने की कंपनी की क्षमता पर ज्यादा भरोसा नहीं होता है।

एक लगातार प्रॉफिटेबल रहने वाली कंपनी की नेट वर्थ (Net worth) या बुक वैल्यू हमेशा बढ़ती रहती है और पॉजिटिव ही रहती है जब तक कि ये अपनी पूरी कमाई शेयरधारकों को लाभांश यानी डिविडेंड के तौर पर वितरित ना करे। एक लिस्टेड कंपनी के लिए, उसकी बुक वैल्यू या नेट वर्थ (Net worth) अक्सर कंपनी के स्टॉक प्राइस के साथ बढ़ती है।

पर्सनल फाइनेंस में नेट वर्थ

किसी व्यक्ति की नेट वर्थ (Net worth) वह वैल्यू है जो संपत्ति से देनदारियों को घटाने के बाद बचती है।

देनदारियों (Liabilities) के कुछ उदाहरण गिरवी समान, क्रेडिट कार्ड बिल, स्टूडेंट लोन और कार लोन आदि हैं। देनदारियों में वे दायित्व भी शामिल हैं जिनका भुगतान जल्द किया जाना है जैसे बिल और टैक्स।

दूसरी ओर एक व्यक्ति की संपत्ति (Assets) में सेविंग अकाउंट बैलेंस, सिक्योरिटी की वैल्यू जैसे स्टॉक या बांड, रियल एस्टेट की वैल्यू, ऑटोमोबाइल का मार्केट प्राइस, आदि शामिल हैं।

सभी संपत्तियों को बेचने और व्यक्तिगत लोन चुकाने के बाद जो कुछ बचा है वही व्यक्ति कि नेट वर्थ (Net worth) कहलाती है।

हाई नेट वर्थ (Net worth) वाले लोगों को हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल (HNWI) कहा जाता है।

नेट वर्थ (Net worth) का उदाहरण

मान लीजिए कोई पति-पत्नी का जोड़ा है जिसके एसेट्स कुछ इस तरह हैं-

  • 2 करोड़ रुपए का एक मुख्य निवास स्थान
  • करंट मार्केट वैल्यू के अनुसार 1 करोड़ का इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो
  • 20 लाख रुपए के ऑटोमोबाइल और दुसरे एसेट्स

और Liabilities यानी देनदारियां कुछ इस तरह हैं-

  • गिरवी रखी गयी 1 करोड़ की वस्तुएं
  • 10 लाख का कार लोन

तो इस तरह पति-पत्नी के नेट वर्थ की गणना कुछ इस तरह होगी-

[2 करोड़ + 1 करोड़ + 20 लाख] – [ 1 करोड़ + 10 लाख] = 2 करोड़ 10 लाख रुपए

अब मान लीजिए की 5 साल बाद पति-पत्नी की आर्थिक स्थति बदल जाती है। एसेट्स में उनके निवास स्थान यानी घर की वैल्यू १.5 करोड़ रुपए रह जाती है, इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो बढ़कर १.25 करोड़ रुपए हो जाता है, इस दौरान वो 50 लाख की बचत भी कर लेते हैं और उनके ऑटोमोबिल और अन्य एसेट्स की वैल्यू 15 लाख रुपए हो जाती है।

वही दूसरी ओर Liabilities में गिरवी रखे आइटम्स की वैल्यू 80 लाख हो जाती है और कार लोन पूरी तरह ख़त्म हो जाता है तो 5 साल बाद पति-पत्नी के नेट वर्थ की गणना कुछ इस तरह होगी-

[१.5 करोड़ + १.25 करोड़ + 50 लाख + 15 लाख] – [ 80 लाख] = 2 करोड़ 60 लाख रुपए

इस तरह पति-पत्नी की नेट वर्थ 5 साल बाद उनके घर और एसेट्स की कीमत कम होने के बाद भी 50 लाख रुपए बढ़ गयी है और इसका कारण कपल द्वारा बचत और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को बढ़ाना रहा।

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नेगेटिव नेट वर्थ

अगर Liabilities की वैल्यू, एसेट्स की वैल्यू से ज्यादा हो तो नेट वर्थ नेगेटिव आती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड बिल, यूटिलिटी बिल, ऑटो लोन और स्टूडेंट लोन का टोटल उनके पास मौजूद कैश और इन्वेस्टमेंट की कुल वैल्यू से अधिक है, तो नेट वर्थ नेगेटिव होगी।

नेगेटिव नेट वर्थ एक संकेत है जो बताता है कि किसी व्यक्ति या परिवार को अपना ध्यान लोन कम करने में लगाने की आवश्यकता है। नेगेटिव नेट वर्थ से बचने के लिए व्यक्ति या फैमिली अपनी बचत और इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को बढ़ा सकते है और दूसरी ओर व्यर्थ के खर्चों और Unwanted लोन से बच सकते हैं।

नेट वर्थ (Net worth) से जुड़े सवाल और उनके जवाब

अच्छी नेट वर्थ क्या होती है?

हर किसी के लाइफस्टाइल, वित्तीय जरूरत और जीवन की परिस्थितियों के अनुसार अच्छी नेट वर्थ की परिभाषा अलग-अलग हो सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2020 में किसी व्यस्क की औसत नेट वर्थ 14,252 USD यानी आज के हिसाब से लगभग 11.5 लाख रुपए थी।

अपनी नेट वर्थ की गणना मैं कैसे कर सकता हूँ?

अपनी नेट वर्थ की गणना करने के लिए आपको अपनी कुल संपत्ति (Assets) में से अपनी कुल देनदारियों (Liabilities) को घटाना होगा। एसेट्स में आपका इन्वेस्टमेंट, सेविंग, नकद जमा, घर, कार या अन्य कोई वस्तु शामिल होगी। कुल देनदारियों (Liabilities) में किसी भी तरह का लोन, क्रेडिट कार्ड बिल आदि शामिल होगा।

भारत में कितने लोगों “हाई नेट-वर्थ” की श्रेणी में आते हैं?

हाल में की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में Ultra HNIs यानी “हाई नेट-वर्थ” वाले लोगों की संख्या 11% बढ़कर 13,637 हो गयी है और अरबपतियों की संख्या के लिहाज़ से भारत विश्व में तीसरे स्थान पर आता है।

मेरी नेट वर्थ क्या होनी चाहिए?

एक फॉर्मूला के अनुसार 70 वर्ष की आयु में आपकी कुल नेट वर्थ आपके वार्षिक खर्च का 20 गुना होनी चाहिए।

निष्कर्ष

नेट वर्थ किसी भी बिज़नेस या व्यक्ति की असली वर्थ जानने का सबसे सटीक तरीका है। केवल एसेट्स को देखना काफी नहीं होता है क्योंकि किसी भी कंपनी या व्यक्ति पर लगभग हमेशा कोई न कोई Liabilities या लोन होता ही है। नेट वर्थ बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका एसेट्स को बढ़ाना और दूसरी ओर लोन या Liabilities को कम करना है।

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