10 बातें किसी भी स्टॉक में निवेश करने से पहले हमेशा ध्यान रखें

स्टॉक में निवेश – समय अवधि, इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी, स्टॉक का फंडामेंटल, स्टॉक का प्रदर्शन, शेयरहोल्डिंग, म्यूच्यूअल फंड होल्डिंग, कंपनी साइज, डिविडेंड, रेवेन्यू ग्रोथ.

जब भी आप किसी स्टॉक या कंपनी में निवेश करने की योजना बनाते हैं तो इससे पहले आपको अच्छे से रिसर्च कर लेनी चाहिए क्योंकि आप अपना मेहनत से कमाया हुआ पैसा निवेश करने जा रहे हैं। आपका टारगेट अच्छी वैल्यू प्राप्त करना होना चाहिए, खासकर जब आप लंबी अवधि के लिए किसी स्टॉक में निवेश कर रहे हों।

इससे पहले कि आप किसी कंपनी में पूरी तरह विश्वास कर लें, आपको अच्छी तरह से रिसर्च करनी चाहिए, स्टॉक के फंडामेंटल को देखना चाहिए और स्टॉक खरीदने से पहले यह देखना चाहिए कि क्या यह स्टॉक आपके पोर्टफोलियो में फिट बैठता है?

आप केवल एक स्टॉक नहीं खरीद रहे हैं बल्कि आप उस कंपनी के शेयरधारक बन रहे हैं यानी आप कंपनी में होने वाले फायदे और नुकसान के भी पार्टनर बनने जा रहे हैं, इसलिए एक निवेशक के रूप में आपको अच्छी तरह से रिसर्च कर लेनी चाहिए।

आपको किसी स्टॉक में निवेश करने से पहले किन बातों को ध्यान रखना चाहिए आज इस आर्टिकल में हम इसी विषय में बात करने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं-

स्टॉक में निवेश करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

1 – समय अवधि

स्टॉक खरीदने से पहले आपको समय अवधि तय करनी होगी क्योंकि आपको पता होना चाहिए की आप कितने समय के लिए किसी स्टॉक में निवेश करने जा रहे हैं जैसे – शार्ट टर्म, मीडियम टर्म या लॉन्ग टर्म यानी लम्बी अवधि के लिए।

शार्ट टर्म यानी छोटी अवधि – अगर आप एक साल से कम समय के लिए निवेश कर रहे हैं तो इसे शार्ट टर्म यानी छोटी अवधि के लिए किया गया निवेश कहा जाता है। अगर आप शार्ट टर्म के लिए किसी स्टॉक में निवेश करने की सोच रहे हैं तो ये स्टॉक एक ब्लू चिप स्टॉक होना चाहिए जो अच्छा डिविडेंड भी पे करता हो।

मीडियम टर्म या माध्यम अवधि – अगर आप 1 साल से 10 साल के बीच की अवधि के लिए कोई निवेश करना चाहते हैं तो इसे मीडियम टर्म या माध्यम अवधि के लिए किया गया निवेश कहा जाता है। मध्यम अवधि के निवेश के लिए आपको ऐसे स्टॉक का चयन करना चाहिए जो उभरते सेक्टर्स से हो और मध्यम स्तर के जोखिम वाले हो।

लॉन्ग टर्म या लम्बी अवधि – अगर आप 10 साल से ज्यादा समय के लिए कोई निवेश कर रहे हैं तो इसे लॉन्ग टर्म यानी लम्बी अवधि के लिए किया गया निवेश कहा जाता है। लंबी अवधि में किया गया निवेश गिरावट को आसानी से रिकवर कर लेता है और बेहतरीन कंपाउंड रिटर्न देता है।

यह भी पढ़ें – शेयर बाजार में HNI इन्वेस्टर क्या होता है?

2 – निवेश की रणनीति / इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी

किसी भी स्टॉक में निवेश करने से पहले आपको निवेश की रणनीति यानी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी के बारे में पता होना चाहिए। आपको यह भी पता होना चाहिए की आपके लिए कौन सी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी बेस्ट रहेगी।

बिज़नेस और शेयर बाजार से जुडी रेगुलर अपडेट पाने के लिए हमारी फ्री एप्प डाउनलोड करें –

findates

सफल इन्वेस्टर्स द्वारा नीचे बतायी गयी अलग-अलग इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी का उपयोग किया जाता है।

वैल्यू इन्वेस्टिंग – वैल्यू इन्वेस्टिंग में उन शेयरों में निवेश किया जाता है जो अपने प्रतिद्वंद्वी की तुलना में अंडर वैल्यूड यानी कम वैल्यू वाले माने जाते हैं लेकिन इनमें अच्छा प्रॉफिट मिलने की उम्मीद होती है। ये वही रणनीति है जिसका उपयोग वॉरेन बफेट द्वारा प्रॉफिट कमाने के लिए किया जाता है।

ग्रोथ इन्वेस्टिंग – ग्रोथ इन्वेस्टिंग में ऐसी छोटी और नयी कंपनियों के शेयर में निवेश किया जाता है जिनकी कमाई आने वाले समय में इंडस्ट्री की औसत कमाई की तुलना में ज्यादा होने की संभावना हो। यानी कंपनी में अच्छी ग्रोथ की संभवना हो। ग्रोथ इनवेस्टर्स का मानना है कि इन शेयरों में तेजी जारी रहेगी और आगे भी प्रॉफिट कमाने का मौका मिलेगा।

इनकम इन्वेस्टिंग – इनकम इन्वेस्टिंग में ऐसे क्वालिटी स्टॉक्स में निवेश किया जाता है जो अच्छे डिविडेंड का भुगतान करते हैं। ये डिविडेंड, इनकम उत्पन्न करते हैं जिसका उपयोग आय बढ़ाने या पुनर्निवेश के लिए किया जा सकता है।

इसलिए निवेश करते समय आपको उस इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी का चयन करना चाहिए तो आपके लिए परफेक्ट हो।

3 – स्टॉक का फंडामेंटल

किसी भी स्टॉक में निवेश करने से पहले कंपनी का फंडामेंटल चेक करना बहुत जरूरी है।

वारेन बफेट जैसे प्रसिद्ध निवेशकों ने शेयरों के मौजूदा प्राइस की उनके उचित प्राइस से तुलना करके बहुत पैसा कमाया है। वारेन बफेट के अनुसार, एक अंडरवैल्यूड स्टॉक अपने उचित प्राइस तक पहुंच ही जाता है।

स्टॉक खरीदने से पहले इन महत्वपूर्ण रेश्यो यानी अनुपात को जरूर चेक करें:

प्राइस टू एअर्निंग रेश्यो (PE रेश्यो) – यह अनुपात कंपनी की प्रति शेयर आय (EPS) के साथ, स्टॉक की कीमत की तुलना करता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी का शेयर 20 रुपये के प्राइस पर ट्रेड कर रहा है और कंपनी की प्रति शेयर आय (EPS) सालाना 1 रुपए है, तो इसका पी/ई अनुपात 20 होगा जिसका मतलब है कि शेयर की कीमत सालाना आधार पर कंपनी की कमाई का 20 गुना है।

डेट टू इक्विटी रेश्यो – डेट-टू-इक्विटी अनुपात से यह पता चलता है कि कंपनी कितना कर्ज में है। कंपनी में ज्यादा कर्ज होना अच्छा संकेत नहीं है।

प्राइस टू बुक वैल्यू रेश्यो (PB रेश्यो) – कंपनी के बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) की तुलना उसके बुक वैल्यू से करने के लिए कंपनियां प्राइस टू बुक वैल्यू अनुपात का उपयोग करती हैं। इसे निकालने के लिए कंपनी के शेयर प्राइस को उसके बुक वैल्यू प्रति शेयर से विभाजित किया जाता है।

4 – अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में स्टॉक का प्रदर्शन

निवेशकों को यह भी देखना चाहिए कि स्टॉक ने अपने प्रतिद्वंद्वियों(Rivals) की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है। इसके लिए आप Tickertape जैसी वेबसाइट का Use कर सकते हैं।

5 – शेयरहोल्डिंग पैटर्न

निवेशकों को शेयर खरीदने से पहले शेयरहोल्डिंग पैटर्न को देख लेना चाहिए। प्रमोटर का किसी भी कंपनी पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। उनके पास कंपनी में बड़ी नियंत्रण हिस्सेदारी हो सकती है या वो कंपनी के किसी बड़े पद पर हो सकते हैं।

निवेशकों को उन कंपनियों में निवेश करना चाहिए जिसमें हाई प्रमोटर होल्डिंग, हाई डोमेस्टिक इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर होल्डिंग और हाई विदेशी संस्थागत निवेशक होल्डिंग हो।

स्टॉक में निवेश

6 – म्यूच्यूअल फंड होल्डिंग

आम तौर पर जब किसी स्टॉक में बहुत से म्यूचुअल फंड ने निवेश किया होता है, तो इसे अन्य शेयरों की तुलना में एक सुरक्षित स्टॉक माना जाता है। इसलिए अगर आप एक कम रिस्क वाले निवेश के लिए देख रहे हैं तो आपको म्यूच्यूअल फण्ड होल्डिंग भी देखनी चाहिए।

यह भी पढ़ें – फेडरल बैंक क्रेडिट कार्ड के लिए कैसे अप्लाई करें?

7 – कंपनी का साइज

जिस कंपनी में आप निवेश करने की सोच रहे हैं उसका साइज उस जोखिम को जानने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो आप स्टॉक खरीदते समय लेना चाहते हैं।

इसलिए स्टॉक खरीदने से पहले अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और समय अवधि को देखते हुए कंपनी के साइज पर विचार करना भी बहुत जरूरी है।

याद रखिए यहाँ साइज से हमारा मतलब कंपनी के मार्केट कैप से है।

8 – डिविडेंड का भुगतान

डिविडेंड स्टॉक अपने निवेशकों को डिविडेंड के तौर पर अपने लाभ का कुछ हिस्सा देने के लिए जाने जाते हैं।

वो निवेशक जो इनकम इन्वेस्टिंग स्ट्रेटजी के साथ निवेश करना चाहते हैं उन्हें इन डिविडेंड स्टॉक में निवेश करना चाहिए। इसके लिए निवेशक को स्टॉक के डिविडेंड देने के इतिहास पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे जब आप डिविडेंड स्टॉक की तलाश कर रहे हैं तो आपको डिविडेंड यील्ड देखना चाहिए ना की डिविडेंड का अमाउंट।

9 – रेवेन्यू ग्रोथ

शेयर खरीदने से पहले निवेशकों को उन कंपनियों पर नजर डालनी चाहिए जिनका रेवेन्यू कुछ सालों से लगातार बढ़ रहा हो। इसके लिए भी आप Tickertape जैसी वेबसाइट का Use कर सकते हैं।

10 – उतार चढ़ाव

अधिक उतार-चढ़ाव वाले शेयर तेजी के दिनों में तेजी से बढ़ते हैं और मंदी के दिनों में तेजी से ढह भी जाते हैं। लेकिन अगर आप शुरुआती निवेशक हैं तो आपको ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले शेयर को अपने पोर्टफोलियो में नहीं शामिल करना चाहिए लेकिन अगर आपको निवेश करने का अच्छा अनुभव है तो आप अपने पोर्टफोलियो में कुछ हिस्सा ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले शेयर को भी दे सकते हैं।

निष्कर्ष

जब भी आप कोई भी स्टॉक खरीदें उससे पहले ऊपर बताए गए इन पॉइंट्स को जरूर चेक कर लें। आपका पोर्टफोलियो ही आपको भविष्य में शानदार रिटर्न देगा इसलिए इसे ऊपर बताई गयी बातों के अनुसार अपडेट करते रहें।

उम्मीद करते हैं आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर जानकारी पसंद आयी तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें, धन्यवाद।

अगर आपने अभी तक डीमैट अकाउंट नहीं Open किया है तो Groww में Free डीमैट अकाउंट Open कर लें और अपनी इन्वेस्टमेंट के सफर की शुरुआत करें।

यह भी पढ़ें – नेट वर्थ क्या होता है और इसे कैसे निकालें?

Leave a Comment